पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम

स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस

15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुआ था। यह वह दिन था, जिस दिन भारत को अपना भविष्य पुनः सँवारने का अवसर प्राप्त हुआ। इस दिन से भारत के सभी साधन-संसाधनों पर भारतवासियों का अधिकार तय हुआ और धर्म, राजनीति, व्यापार, कृषि, शिक्षा, चिकित्सा इत्यादि प्रत्येक पहलुओं पर देशवासियों को निर्णय लेने की स्वतन्त्रता प्राप्त हुई। अतः स्वतन्त्रता दिवस देश के सभी लोगों के लिए ऐतिहासिक व महत्त्वपूर्ण दिन है और सदैव रहेगा।

देश के अन्य स्थानों की भाँति पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम में भी स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस दिन प्रात: काल से ही वातावरण में गुंजरित देशभक्ति के गीत सभी के हृदय में देशप्रेम का रस घोल देते हैं । स्वतन्त्रता दिवस में देशभक्ति के गीत और भावनापरक भाषण, बच्चों और युवाओं में निःसंदेह देश के इतिहास और वर्तमान का बोध कराते हुए राष्ट्रीयता की उस भावना का पोषण करते हैं, जो राष्ट्र के भविष्य का आधार है। इसी प्रकार 26 जनवरी को भी ध्वजारोहण करके देश के संविधान एवं हमारे कर्तव्यों- अधिकारों के बारे में उपस्थित जनसमुदाय को अवगत कराया जाता है ।

कार्यक्रम हेतु सिद्धाश्रम में रहने वाले सभी लोग एक तय समय में परिसर पर एकत्र होते हैं, तत्पश्चात् भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन संध्या शुक्ला जी के द्वारा राष्ट्रध्वज फहराया जाता है, जिसके उपरान्त कुछ गीतों और भाषणों के द्वारा देशभक्तों, क्रांतिकारियों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और समापन अवसर पर बूंदी के लड्डू का वितरण प्रसादस्वरूप किया जाता है। सिद्धाश्रम में आयोजित इन कार्यक्रमों के वीडियो, यूट्यूब चैनल के साथ सोशल मीडिया के कुछ अन्य प्लेटफार्म पर भी प्रसारित किये जाते हैं, जिससे देशवासी भी इन कार्यक्रमों से लाभान्वित हो सकें ।

पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पर सन् 2016 में जब इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई, तब स्वयं सद्गुरुदेव जी महाराज ने अपने हाथों से राष्ट्रध्वज फहराया था एवं हज़ारों की संख्या में उपस्थित सिद्धाश्रमवासियों और आगन्तुकजनों के समक्ष स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान हुए क्रांतिकारियों के त्याग, शौर्य, देशप्रेम और पराक्रम की गाथा को अपने चिंतन के माध्यम से जीवंत किया था। सद्गुरुदेव जी महाराज ने इस दिन, धर्म की रक्षा, राष्ट्र की रक्षा व मानवता की सेवा के संकल्प को और दृढ़ करने का निर्देश देते हुए कहा था कि “सिद्धाश्रम में भी ध्वजारोहण का क्रम प्रारंभ किया जा रहा है, ताकि इस क्रम के माध्यम से स्वतंत्रता पूर्व व पश्चात् के सभी महत्त्वपूर्ण तथ्यों को उनकी वास्तविकता के साथ एक अखण्ड ज्योति की भांति प्रज्ज्वलित रखा जा सके, जिसकी ऊर्जा से आने वाली पीढ़ियां प्रकाशित होती रहें।”

स्वतंत्रता दिवस, गुरुदेव जी के लिए केवल पर्व का दिन न होकर विचारमंथन का दिन भी होता है। इस दिन उनका हृदय स्वतंत्रता की वेदी पर बलिदान हुए क्रान्तिकारियों और देशभक्तों की त्यागभावना की अनुभूति से हर क्षण आप्लावित रहता है। गुरुदेव जी कहते हैं कि “यह दिन उत्सव मनाने का दिन तो है, किन्तु उससे कहीं ज्यादा यह आकलन करने का दिन है कि उन लाखों बलिदानियों की अपेक्षाओं के अनुरूप आज देश की वर्तमान स्थिति है या नहीं और हमने उन राष्ट्रभक्तों के बलिदानों की लाज रखी है या नहीं? अगर स्वतन्त्रता पश्चात् आज भी देश का पतन हो रहा है, तो हमें विचार करना होगा कि देश के प्रति हम अपने कर्त्तव्यों की पूर्ति कर पा रहे हैं या नहीं कर पा रहे हैं।’

स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर स्वतंत्रता दिवस को अमृत महोत्सव के रूप में पूरे देश ने पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में भी सद्गुरुदेव जी महाराज के निर्देशन में हर घर तिरंगा अभियान को महत्त्व देते हुए सिद्धाश्रम में स्थित सभी भवनों में ध्वजारोहण किया गया, जिसमें सद्गुरुदेव जी महाराज व शक्तिमयी माता जी के साथ सभी केन्द्रीय पदाधिकारियों की भी सहभागिता रही। पूर्व के वर्षों की भाँति अमृत महोत्सव पर भी 15 अगस्त को प्रातः 7:30 बजे भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष संध्या शुक्ला जी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।

सिद्धाश्रम पर स्वतंत्रता दिवस के प्रथम आयोजन (2016) में गुरुवरश्री के चिंतन का संक्षिप्त अंश:-

शिष्यों, भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए परमपूज्य गुरुवरश्री कहते हैं कि “देश की स्वतंत्रता का यह 70वां वर्ष है। स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन को उत्सर्ग कर देश को स्वतंत्र तो करा दिया, लेकिन क्या इतने वर्षों के बाद भी उनके सपनों को साकार किया जा सका ? उन्होंने देश की स्वतंत्रता को लेकर, जो सपने संजोए थे, वे अधूरे रह गए। उन्होंने सोचा था कि आर्थिक असमानता दूर होगी, छुआछूत, जातपात का भेदभाव मिटेगा, नशा मांस, भय-भूख- भ्रष्टाचार, अत्याचार व व्यभिचार से मुक्त भारत का निर्माण होगा, लेकिन आज स्थिति ठीक इसके विपरीत है। भले ही हम आज के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं, लेकिन यह पर्व तभी सार्थक होगा, जब हम स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार कर पाएंगे।

धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा एवं मानवता की सेवा के लिए तीन धाराओं भगवती मानव कल्याण संगठन, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के माध्यम से समाज के बीच कार्य किया जा रहा है, जिससे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों को साकार किया जा सके।” परमपूज्य गुरुवरश्री ने सजल नेत्रों से भावनापूर्ण शब्दों में कहा कि “वीरसेनानियों को ये तीनों धाराएं श्रद्धांजलिस्वरूप समर्पित हैं। तुम इस स्वतंत्रता पर्व पर एक बार फिर संकल्प लो कि नशे मांस व भय-भूख-भ्रष्टाचार से मुक्त चरित्रवान् व चेतनावान् समाज का निर्माण करोगे। देश की स्वतंत्रता के लिए जीवन को बलिदान करने वाले वीर सेनानियों के प्रति यही तुम्हारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन संध्या शुक्ला जी के उद्बोधन का संक्षिप्त अंश:-

स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि सिवाक अर्पित करते हुए भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन संध्या शुक्ला जी ने कहा कि ” सही मायनों में यदि स्वतंत्रता प्राप्त करना है, तो मानवता की सेवा, धर्म की रक्षा व राष्ट्र की रक्षा का संकल्प लेकर तीन धाराओं के माध्यम से कार्य करना पड़ेगा। अंग्रेजों की गुलामी से देश तो आजाद हो गया, लेकिन देश का अधिसंख्य समाज आज भी भय- भूख भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। सामान्य जनजीवन अच्छी शिक्षा, अच्छी चिकित्सा व अनिवार्य आवश्कताओं लिए त्रसित है। अंग्रेजी शासनकाल की तरह ही चारों ओर भ्रष्टाचार, शोषण, लूट-खसोट व आतंक का बोलबाला है। आखिर, इन सबसे हमें मुक्ति कौन दिलाएगा ?”

आपने कहा कि “नशा-मांस, भय-भूख-भ्रष्टाचार, छुआछूत व जातपात के भेदभाव से मुक्त समाज के निर्माण के लिए भगवती मानव कल्याण संगठन और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी कृतसंकल्पित है। आप हम सभी पूर्णरूपेण स्वतंत्रता की श्वास तभी ले सकेंगे, जब मानसिक गुलामी से मुक्त होकर चेतनावानों का जीवन जियेंगे एवं देश को पुनः समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ाएंगे।

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