पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम

Chetna Mantra

निःशुल्क योग का क्रम

सिद्धाश्रम स्थित उद्यान में योगाभ्यास कराती हुईं शक्तिस्वरुपा बहनें पूजा जी एवं संध्या जी

योगः कर्मसु कौशलम् अर्थात् “कर्मों में कुशलता ही योग है” या यूँ कहें कि योग से कर्मों में कुशलता आती है, तो वह भी गलत नहीं होगा। योग वह प्रभावशाली क्रम है, जिसे अपनाकर कोई भी मनुष्य अपने जीवन के अलौकिक लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

योग, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य हेतु सर्वोत्तम साधन माना जाता है। योग से मन संयमित एवं प्रसन्नचित्त रहता है, मांसपेशियों में लचीलापन आता है, हड्डियां मजबूत होती हैं, हार्मोन्स संतुलित रहते हैं, सप्तधातुएँ पुष्ट होती हैं एवं स्वास्थ्यलाभ प्राप्त करके, मनुष्य अपनी आत्मा की ओर प्रवृत्त होता है। काया को स्वास्थ्य प्रदान करने वाले किसी भी अन्य क्रम में एक साथ इतनी खूबियां नहीं, जितनी कि योग में हैं। योग एक ऐसी विधा है, जिसको अगर नियमतः अपनाया जाए, तो इसमें लाभ ही लाभ निहित है।

आज, अनुचित और विलासितापूर्ण जीवनशैली के कारण, बढ़ती हुई बीमारियों से लोग परेशान हैं। मानसिक विकृतियां और शारीरिक व्याधियां आज मनुष्य के जीवन की मुख्य समस्याएं हैं। लोग अपनी प्रकृतिविमुख गतिविधियों से स्वयं को बीमार करते हैं, फिर दवाओं के जाल में फंसकर, अपने जीवन को बीमारी और दवाई तक ही सीमित करके नर्कतुल्य बना लेते हैं। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने अपने चिन्तन में कहा है-

“योग ही जीवन है, वियोग ही मृत्यु है।
कुण्डलिनी का जागरण ही, जीवन की मुक्ति है।”

यहाँ योग से तात्पर्य उस अष्टांग योग से है, जिसमें जीवन के मूल उद्देश्य की प्राप्ति हेतु, वे समस्त विधाएं समाहित हैं, जिन पर चलकर पूर्णत्व को प्राप्त किया जा सकता है। सद्गुरुदेव जी महाराज के स्वयं का जीवन भी योग की ही परिणति है। बाल्यावस्था से लेकर उनके जीवन का हर क्षण योगमय है, इसीलिए सद्गुरुदेव जी महाराज समाज के बीच योगीराज के नाम से जाने जाते हैं।

वैसे सम्पूर्ण अष्टांग योग का पालन एक भिन्न विषय है, लेकिन समाज के बीच रहकर भी अपने भौतिक कर्तव्यों की पूर्ति करते हुए, यम-नियम के साथ आसन व प्राणायाम की क्रियाओं को अपनाकर, शरीर व मन को पूर्ण स्वस्थ रखा जा सकता है। सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने हर मनुष्य के लिए योग को जीवन का अनिवार्य अंग बताया है, इसीलिए सिद्धाश्रम धाम में नित्यप्रति योग के सामूहिक क्रम होते हैं, जिसमें यहाँ स्थाई रूप से निवासरत एवं आने-जाने वाले सभी भक्तजन योगाभ्यास करते हैं। इसके अलावा सिद्धाश्रम में आयोजित, शक्ति चेतना जनजागरण शिविरों में भी, योगक्रम का सामूहिक अभ्यास कराया जाता है। इस पवित्र धाम में सद्गुरुदेव जी महाराज के द्वारा छोटे बच्चों से लेकर सभी आयु के गुरुभाई-बहनों व भक्तों के लिए योगाभ्यास की परंपरा की नीव डाली गई है।

शक्तिस्वरुपा बहनों के निर्देशन में योगाभ्यास
जय माता की - जय गुरुवर की