पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम

शिक्षा व चिकित्सा हेतु सहयोग

शिक्षा ही मनुष्य की उन्नति का आधार है। शिक्षा, मनुष्य को ज्ञान के साथ-साथ सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है, जिससे मनुष्य अपने जीवन को कुशलतापूर्वक जीने की कला सीखता है। आज देश की वर्तमान विषम स्थिति के अनेक कारणों में एक यह भी है कि हमारे देश की एक बड़ी आबादी अशिक्षित है। विडंबना यह कि देश के नीति-नियन्ता राजनेताओं (पंच, सरपंच, विधायक, सांसद) में अशिक्षितों की भरमार है।

यह विचार करने वाली बात है कि देश के कर्णधारों को, जिन्हें देश के इतिहास व भूगोल का ही पता नहीं है, वे भला देश की सभ्यता और संस्कृति की रक्षा कैसे करेंगे? जिन्होंने ऋषियों की धरोहर- वेदों, पुराणों, उपनिषदों और स्मृतियों में उल्लिखित धर्म और नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ा, वे भला पीड़ित और परेशान समाज के दुःख-दर्द को कैसे समझेंगे और कैसे उनका सहारा बनेंगे तथा जो स्वयं अशिक्षित हैं, वो भला समाज को शिक्षित बनाने के महत्त्व को क्या जानेंगे ?

शिक्षा राष्ट्र को समृद्धि व उन्नति का मूल आधार है। जब भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, तब देश में सात लाख बत्तीस हजार गुरुकुल थे, जिनमें भौतिक, अध्यात्मिक व स्थूल से लेकर सूक्ष्म तक की हर विद्या का अध्ययन ऋषियों-मुनियों व पारंगत आचार्यों के द्वारा कराया जाता था। भारत का कोई ऐसा घर नहीं था, जो इस आदर्श व्यवस्था की परिधि से बाहर रहा हो, यही कारण था कि हर व्यक्ति अपने गुण, कर्म, स्वभाव के अनुसार शिक्षित होकर सुख-सम्पन्नता का जीवन व्यतीत करता था।

मनुष्य पुनः आत्मज्ञानी बने, स्वावलम्बी व जागरूक बने, इसी उद्देश्य को लेकर प्राचीन शिक्षण पद्धति को आधुनिक रूप से स्थापित करने हेतु सद्गुरुदेव जी महाराज ने भविष्य में सिद्धाश्रम की धरा पर एक विद्यालय खोलने की घोषणा की है। यह ऐसा विद्यालय होगा, जिसमें व्यक्ति को साक्षर करने के साथ-साथ ज्ञानवान बनाते हुए नैतिकता व अनुशासन की भी शिक्षा दी जायेगी।

देश में शिक्षण व्यवस्था की तरह ही स्वास्थ्य सेवाओं का भी हाल बदतर है। अगर किसी गाँव, कस्बे या छोटे शहर में किसी व्यक्ति के साथ दुर्घटना हो जाये या अन्य किसी बड़ी बीमारी का कोई प्रकरण हो, तो महानगर के किसी बड़े अस्पताल में शरण लिए बिना, उसका इलाज संभव ही नहीं है। लोग दवाओं पर होने वाले व्यय को सहन भी करलें, किन्तु इससे कहीं ज्यादा खर्च बड़े महानगरों व बड़े शहरों में व्यवस्था बनाने और डॉक्टरों की फीस पर होता है, जिसके कारण आधे से ज्यादा बीमार पीड़ितजन बिना उपचार के ही अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं ।
सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के द्वारा हर मनुष्य के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य को सदैव महत्त्व दिया जाता है। सभी सिद्धाश्रमवासियों के लिए गुरुदेव जी के द्वारा विद्याध्ययन, स्वाध्याय व योग-व्यायाम आदि के आवश्यक नियम निर्धारित किये गए हैं, ताकि सभी लोग स्वस्थ रहकर ज्ञान प्राप्त करते हुए अपने जीवन को सार्थकता की ओर बढ़ा सकें।

सिद्धाश्रम से बाहर, अन्य स्थानों पर भी निवास करने वाले संगठन के जरूरतमंद सदस्यों के लिए उनकी आवश्यकता की प्राथमिकता के आधार पर शिक्षा व स्वास्थ्य हेतु उचित रूप से आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। पढ़ाई में अव्वल परिणाम लाने वाले ऐसे बच्चे, जिनके घर में आगे की पढ़ाई हेतु व्यवस्था का अभाव रहता है, उन्हें उचित धनराशि देकर शिक्षा हेतु सहायता प्रदान की जा चुकी है। पढ़ने में होशियार बच्चों को संगठन के सहयोग से अच्छे संस्थानों में भर्ती कराया गया है एवं कला क्षेत्र की भिन्न-भिन्न विधाओं में पारंगत अनेक बच्चों को भी सहयोग प्रदान कर उन्हें आगे बढ़ाया गया है।

स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत एक एम्बुलेंस भगवती मानव कल्याण संगठन की ओर से सिद्धाश्रम धाम और आसपास के क्षेत्रवासियों हेतु सदैव ही निःशुल्क रूप से उपलब्ध रहती है। कोरोना की विभीषका में सद्गुरुदेव जी महाराज के द्वारा पम्पलेट्स के माध्यम से आसपास के क्षेत्र में एम्बुलेंस की निःशुल्क उपलब्धता की जानकारी दिलाई गई थी, ताकि जरूरतमंद लोग इसका उपयोग कर सकें। इसके अलावा संगठन के जनकल्याणकारी कार्यों अथवा अवैध शराब की धरपकड़ के दौरान किसी दुर्घटना के कारण चोटिल अथवा घायल होने वाले कार्यकर्ताओं को, जिनके पास पूर्ण चिकित्सा की व्यवस्था नहीं होती, उन्हें भी संगठन की तरफ से आवश्यकतानुसार आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता है।

स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ हर मनुष्य पा सके, चिकित्सा की सभी पद्धतियां मनुष्य को सहजतापूर्वक सुलभ हो सकें, एक गरीब भी बड़ी से बड़ी बीमारी में उच्च स्वास्थ्य सेवाओं से लाभान्वित हो सके इसलिए सिद्धाश्रम धाम में एक सर्वसुविधायुक्त अस्पताल के निर्माण की योजना भी प्रस्तावित है।

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