पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम

Chetna Mantra

त्रिशक्ति गोशाला

सिद्धाश्रम स्थित त्रिशक्ति गौशाला का भव्य मुख्य द्वार

भारतवर्ष में गौ-पूजन का विधान आदिकाल से ही प्रचलित रहा है, जिसके पर्याप्त प्रमाण प्राचीन ग्रन्थों में कारण सहित मिलते हैं। माता की ही भांति गाय सरलतम रूप से मनुष्य का पालन-पोषण करती है, इसीलिए कहा गया है- गावो विश्वस्य मातरः अर्थात्, “गाय विश्व की माता ही है।” गाय के दुग्ध को आयुर्वेद में अमृत कहा गया है, क्योंकि गोमाता का दुग्ध अपने अतिसुपाच्यता गुण के साथ मानवशरीर का पोषण करता है। वेद-पुराणों ने तो गौ महिमा के संदर्भ में यहाँ तक कह दिया है कि गोमाता के शरीर मे सभी देवी-देवताओं का वास है। अतः गोवंश समाज का एक महत्त्वपूर्ण अंग है, जो मनुष्य के लिए सर्वथा पूज्य है।
गोमाता की उपयोगिता के अनुरूप ही उसके सम्मान की रक्षा एवं महत्त्व की स्थापना हेतु सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के द्वारा पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में त्रिशक्ति गोशाला की स्थापना की गई है, जिसके माध्यम से गौ-पालन व गौ-संवर्धन का कार्य किया जा रहा है। विदित है कि त्रिशक्ति गोशाला का प्रारंभ कुछ गायों के साथ किया गया था और आज सैकड़ों गोवंश गोशाला की शोभा बढ़ा रहे हैं।

चारागाह एवं जल इत्यादि की उत्तम व्यवस्था को स्थायित्व प्रदान करने के पश्चात् सद्गुरुदेव जी महाराज के द्वारा गोशाला परिसर में अन्य निर्माणकार्यो को भी गति प्रदान की जा रही है। त्रिशक्ति गोशाला में पर्याप्त संख्या में कार्यकर्ता नियुक्त किये गए हैं, जो गोशाला में रहकर गोसेवा के साथ जुड़ी प्रत्येक छोटी-बड़ी व्यवस्थाओं की देखरेख सजगता के साथ करते हैं। कार्यकर्ताओं के द्वारा गोवंशों को समय-समय पर नहलाना, आहार की व्यवस्था करना, चारागाह में ले जाने जैसी हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। यहाँ गोवंशों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर के साथ चिकित्सा की भी पूर्ण व्यवस्था है, जिसके माध्यम से गोवंशों को दी जाने वाली आवश्यक दवाईया एवं समय-समय पर लगने वाले आवश्यक टीकों का ध्यान रखा जाता है।

त्रिशक्ति गोशाला की गायों के दुग्ध से बने घी का उपयोग सिद्धाश्रम में अनन्तकाल के लिए प्रज्ज्वलित अखण्ड ज्योति एवं अन्य साधनात्मक अनुष्ठानों में तथा हलुआ प्रसाद इत्यादि बनाने में किया जाता है, वहीं छाछ व दही का उपयोग सिद्धाश्रम धाम के अन्नपूर्णा भण्डारा में दैनिक रूप से होता है तथा यहाँ के शुद्ध दूध से स्वादिष्ट पेड़ा भी बनाया जाता है। साथ ही यहाँ शुद्ध तरीके से गोमूत्र अर्क भी तैयार किया जाता है, जिसे आश्रम से ले जाकर समाज के लोग दवा के रूप में ग्रहण करके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, गोमूत्र अर्क अनेक व्याधियों के लिए एक कारगर औषधि है, जिसका उपयोग प्राचीनकाल से होता चला आ रहा है।

देखा जाय तो समाज में गोसेवा के नाम पर खोली जाने वाली गौ-शालाएं व्यवसायिकक्रमों की भेंट चढ़कर रह जाती हैं। गोशाला हेतु सरकार से प्राप्त आय का संचालकों के द्वारा व्यक्तिगत रूप से उपयोग किया जाता है, परिणामस्वरूप गोवंश के लिए न तो उत्तम रीति से आहार की व्यवस्था हो पाती है और न ही गोशाला को सुविधा सम्पन्न बनाया जाता है। यही कारण है कि अधिकांश गौ-शालाओं में गोवंश कमज़ोर होकर असमय ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं।

पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में स्थापित त्रिशक्ति गोशाला को किसी भी तरह से शासन- प्रशासन या सरकारी अनुदानों पर आश्रित नहीं रखा गया है। इसे न तो किसी के व्यक्तिगत लाभ के लिए बनाया गया है और न ही कोई व्यवसायिक स्वरूप दिया गया है। समाज गोसेवा का लाभ प्राप्त कर सके, गोमाता की महत्ता स्थापित हो और गोदुग्ध से निर्मित होने वाले दही, घी, छाछ इत्यादि स्वास्थ्यवर्धक पदार्थों की शुद्धतापूर्वक उत्पादकता का चलन व उपयोगिता बढ़े, यही त्रिशक्ति गोशाला का उद्देश्य है।

जय माता की - जय गुरुवर की