शक्ति चेतना जनजागरण शिविर

नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान, चेतनावान समाज के निर्माण हेतु प्रत्येक वर्ष सद्गुरुदेव जी महाराज के द्वारा शक्ति चेतना जनजागरण शिविरों का आयोजन किया जाता है। सिद्धाश्रम धाम के साथ ही देशभर में भिन्न-भिन्न स्थानों पर आयोजित इन विशिष्ट शिविरों में होने वाले दिव्य आरतीक्रमों के माध्यम से, लाखों लोगों के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन होने हैं। जनमानस में आवश्यक जागृति उत्पन्न करने के साथ ही गुरुवर श्री का आशीर्वाद और माँ की चेतना का सम्मिलित फल प्रदान करने वाले ये साधनात्मक शिविर समाज के लिये किसी वरदान से कम नहीं हैं।

शक्तिचेतना जनजागरण शिविरों में चमत्कार होते हैं लेकिन चमत्कार भौतिक पदार्थों से संबंधित नहीं होते, अपितु ये मनुष्य के संस्कार, कर्म, चरित्र, गुण, स्वभाव, उसके प्रारब्ध व भूत, भविष्य, वर्तमान से संबंधित होते हैं। इन शिविरों में भटके हुए लोगों को मार्ग मिलता है, समस्या में फसे लोगों को स्थायी समाधान तथा कुशलता पूर्वक जीवन जीने के लिये एक सशक्त आधार प्राप्त होता है। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के द्वारा इन शिविरों के माध्यम से मनुष्य को नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान जीवन अपनाने का संकल्प कराकर वह अलौकिक पूंजी प्रदान की जाती है, जिससे व्यक्ति के जन्म-जन्मान्तर के कुसंस्कार नष्ट होते हैं। और वह आनंदमय जीवन का पात्र बन जाता है।

सद्गुरुदेव जी महाराज के प्रवचनों को सुनकर आजतक अनगिनत लोगों के कर्मपद्धतियों में सकारात्मकता का संचार हुआ है। सन् 1996 से अब तक इन शिविरों को ऊर्जा से करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन आया है। देश-विदेशों से लाखों माँ के भक्त शिविरों में सम्मिलित होते हैं, जिन्हें सद्गुरुदेव जी महाराज के प्रभावी चिंतन, उनके सतोगुणी चेतना तरंगों के प्रभाव एवं माँ की विशिष्ट आरती क्रम के फलस्वरूप, मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। सद्गुरुदेव जी महाराज के चिन्तन, कथाओं एवं पौराणिक आख्यानों से भिन्न, जहाँ एक ओर मनुष्य को कुकर्मों से अलग होकर सत्कर्मों में प्रवृत्त होने के लिए प्रेरित करते हैं, वहीं विश्वजगत् में हो रही विसंगतियों पर भी कटाक्ष करते हैं।

पूर्व के शक्तिचेतना जनजागरण शिविरों में युगपरिवर्तन के शंखनाद व नशामुक्ति महाशंखनाद के क्रम भी आयोजित किये गये हैं, जिनमें सद्गुरुदेव जी महाराज के साथ लाखों लोग एक साथ शंखनाद करते हैं। ये शंखनाद क्रम जहाँ जन-जन में सकारात्मक भाव-विचारों की स्थापना के लिये एक सशक्त माध्यम हैं वहीं सूक्ष्म रूप से वातावरण में स्थित नकारात्मकता को समाप्त करने में अत्यंत प्रभावी होते हैं।

अब तक सम्पन्न शंखनाद के क्रम

युग परितर्वतन का शंखनाद

दिल्ली – 12-13 नवम्बर 2011
सागर – 11-12 फरवरी 2012
पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम – 22-23-24 अक्टूबर 2012

नशामुक्ति महाशंखनाद

भोपाल – 15-19 फरवरी 2015
लखनऊ – 20-21 फरवरी 2016
रायपुर – 11-12 फरवरी 2017
चंडीगढ़ – 17-18 फरवरी 2018
जयपुर – 16-17 फरवरी 2019

इन क्रमों के साथ ही शिविरों में गुरुदीक्षा का क्रम भी सम्पन्न होता है। गुरुगीता में वर्णित है कि-

गुरुमंत्रों मुखे यस्य तस्य सिद्धयन्ति नान्यथा।
दीक्षया सर्व कर्माणि सिद्धयन्ति गुरुपुत्रके।

अर्थात् “जिसके मुख में गुरुमंत्र है, उसी के सब कर्म सिद्ध होते हैं, दूसरे के नहीं। दीक्षा के कारण शिष्य के सर्वकार्य सिद्ध हो जाते हैं।” शिविर के तृतीय व अंतिम दिवस के प्रथम सत्र में, आत्मकल्याण व जनकल्याण के पथ पर बढ़ने के इच्छुक नए भक्तों को सद्गुरुदेव जी महाराज के द्वारा नशे मांसाहार से मुक्त चरित्रवान, चेतनावान् पुरुषार्थी व परोपकारी जीवन अपनाने एवं धर्म, राष्ट्र की रक्षा और मानवता की सेवा करने का संकल्प कराते हुए दीक्षा प्रदान की जाती है। सद्गुरुदेव जी महाराज के द्वारा शक्ति चेतना जनजागरण शिविरों के माध्यम से अभी तक 15 लाख से अधिक भक्तों को दीक्षा प्रदान की जा चुकी है। यह सत्य है कि दीक्षा प्राप्त करके, लिए गए संकल्पों पर दृढ रहने वाले शिष्यों के लिए जग में कोई भी कार्य असंभव नहीं होता, उनकी चेतनाशक्ति सदैव प्रबल रहती है और उनके जीवन में कभी भटकाव नहीं आता।

सद्गुरुदेव जी महाराज के चेतनात्मक चिन्तनों, दिव्य आरतीक्रमों व गुरुदीक्षा के अलावा लाखों शिविरार्थियों को योग का भी लाभ प्राप्त होता है। इन शिविरों में शक्तिस्वरूपा बहनों के द्वारा उपस्थित सभी ‘माँ’ भक्तों को योगासन, प्राणायाम व ध्यान की विधियाँ क्रियात्मक रूप से सिखाई जाती हैं।

पूरे देशभर में अलग-अलग संस्थाओं के द्वारा विभिन्न प्रकार के वृहद् धार्मिक कार्यक्रम संपन्न किए जाते हैं, जिनमें हरएक क्रियाकलापों का एक निश्चित शुल्क निर्धारित रहता है। लेकिन, भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित शक्ति चेतना जनजागरण शिविरों में भोजन एवं आवास के साथ प्रत्येक छोटी- बड़ी गतिविधियाँ जैसे-शिविरार्थियों के बैठने, चिंतन सुनने, योग करने व गुरुदीक्षा जैसी अतिमहत्त्वपूर्ण प्रक्रियाओं के साथ सम्पूर्ण सुविधाएं निःशुल्क रहती हैं, जो कि निश्चय ही धर्म की स्थापना का एक जीवंत प्रमाण है।

देश में अन्य स्थानों पर आयोजित शिविरों के साथ ही पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम में शारदीय नवरात्र की अष्टमी, नवमी एवं विजयादशमी तिथि को प्रत्येक वर्ष शक्ति चेतना जनजागरण शिविर का आयोजन होता चला आ रहा है। इन तीनों दिवसों में लाखों की संख्या में शक्तिसाधक बस, ट्रेन व निजी वाहनों से सिद्धाश्रम धाम में उपस्थित होते हैं। शिष्यों का यह सौभाग्य ही है कि नवरात्र पर्व की विशिष्ट तिथियों में, प्रत्येक वर्ष उन्हें इस शक्तितीर्थ पर आयोजित शक्तिपर्व में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त होता है, जहाँ आकर वे अपने संकल्पों को और दृढ़ करते हुए ‘माँ’- गुरुवर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। विजयादशमी के दिन, समाज के लोग जब रावण का पुतला दहन करके बाह्यरूप से उत्सव मना रहे होते हैं, तब उस समय सिद्धाश्रम में इस शक्तिपर्व का आयोजन होता है, ताकि मनुष्य में निहित रावणरूपी असुर समाप्त हो और सही अर्थों में मनुष्यता का सृजन हो सके।

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