जनमानस की समस्याओं का समाधान

पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में ऐसा कोई क्षण नहीं, जो लोककल्याण के लिए समर्पित ‘और ‘माँ’ की कृपा से आबद्ध न हो। इस पावनस्थल का निर्माण ही इसीलिए हुआ है कि भूले-भटके, व्यथित और अशांत लोगों को सत्यधर्म की राह व सुख-शांति का आश्रय प्राप्त हो सके।

इस स्थल पर सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के द्वारा सुबह-शाम सम्पन्न की जाने वाली ‘माँ’ की आरती एवं उनकी नित्य को एकांत की साधनाओं के प्रभाव से यहाँ आकर हर मनुष्य उस अलौकिक शांति की अनुभूति प्राप्त करता है, जिससे उसके जीवन के झंझावातों का शमन होता है। समाज के बीच वह जिन समस्याओं से घिरा रहता है, उनका समाधान, यहाँ आने पर वह सहज ही प्राप्त कर लेता है। समाज के बीच जहाँ समय भागता हुआ प्रतीत होता है, वहीं इस स्थल पर समय की गति स्थिर प्रतीत होती है। ऐसा लगता है जैसे सब कुछ यहीं है। जो यहाँ है, उसी में सब समाहित है. इसके अलावा और कुछ प्राप्त करना आवश्यक ही नहीं। यहाँ की भूमि पर पैर रखते ही, असहनीय कष्टों और घोर समस्याओं से घिरे व्यक्ति का मन, यहाँ के त्याग तपोमय से युक्त सूक्ष्म वातावरण के प्रभाव से तुरंत ही अंतर्दृष्टि को प्राप्त होने लगता है। फलस्वरूप उसकी समस्याएँ, विपदाएं उसे क्षुद्र और महत्त्वहीन प्रतीत होने लगती हैं और वह सहजरूप से आनन्दित हो उठता है।

सिद्धाश्रम धाम में सुबह-शाम सद्गुरुदेव जी महाराज के चरणस्पर्श करने एवं उनसे मिलकर अपनी समस्याओं को गुरुचरणों में रखने का अवसर जनसामान्य को प्राप्त होता है। हर परेशान, दुःखी व अवगुणों-विकारों से ग्रसित व्यक्ति सद्गुरुदेव जी से आत्मा की अमरता’ रूपी हीरा और ‘कर्म की प्रधानता’ रूपी मोती प्राप्त करके जाता है, जिससे उसके जीवन के समस्त अंधकार स्वतः ही मिटते चले जाते हैं। इस सिद्धाश्रम की धरा पर पिछले 25 वर्षों में सद्गुरुदेव जी ने व्यक्तिगत रूप से मिलकर अनगिनत लोगों को, अपने आशीर्वाद चिंतन के माध्यम से कष्टों से मुक्त होने का पथ प्रदान किया है।

प्रतिदिन सुबह-शाम मिलने के क्रम में सैकड़ों लोग सद्गुरुदेव जी के चरणों में अपनी नाना प्रकार की समस्याओं को रखते हैं। जीवन की विषमताओं से ग्रसित व्यक्तियों के साथ अध्यात्मिक पिपासुजन भी गुरुवरश्री के चरणों में उपस्थित होकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, लेकिन मिलने वाले लोगों में नशे की बुरी आदत के कारण जीवन में अशांति, कलह व बीमारियों से ग्रसित नशामुक्ति के आकांक्षी लोगों की समूह संख्या सबसे अधिक होती है।

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