Chetna Mantra

दिव्य जल

सिद्धाश्रम सरिता के तट पर स्थित दिव्य जल स्रोत

इस धरा पर अनेक मठ, मंदिर, अखाड़े और आश्रम हैं, किन्तु पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम की महिमा अतुलनीय है। यहाँ पर समय के साथ बढ़ते हुए जनकल्याणकारी कार्य यह प्रमाणित करते हैं कि यह धरती पूर्व से ही सिद्ध है।

जब सद्गुरुदेव जी महाराज ने वर्ष 1996 में इस धरा पर प्रवेश किया था, तब उनके साथ उपस्थित शिष्यों ने भी पाया कि दानवीर पर्वत के निचले हिस्से से अलग-अलग दो स्थानों पर जल की धारा बहकर नीचे नदी में मिल रही है। आसपास के लोगों से चर्चा के दौरान यह ज्ञात हुआ कि ये धारायें हजारों वर्षों से यथावत हैं। इनमें से एक धारा दानवीर गुफा के पास और दूसरी धारा स्वामी जी की समाधिस्थल के पास सिद्धाश्रम सरिता के तट पर प्रवाहित है।

सद्गुरुदेव जी के द्वारा बताया गया है कि स्वामी जी की समाधिस्थल परिसर के नीचे एक दिव्य जलस्रोत अतिप्राचीन समय से विद्यमान है, जिसका मूलस्थान अत्यन्त गहराई में है। यह जल अत्यन्त पवित्र है, जिसके कारण ही इसे ‘दिव्य जल’ से सम्बोधित किया गया है। इसकी महिमा इतनी है कि गंगाजल अथवा नर्मदाजल न मिल पाने की स्थिति में, गुरुदेव जी ने भक्तगणों को इस जल में ही शक्तिजल को मिलाकर पान करने लिए निर्देशित किया है। वैसे तो नित्य ही आने-जाने वाले लोगों के द्वारा इस जल का उपयोग किया जाता है, किन्तु शिविर में इस दिव्य जल परिसर के पास एकत्रित भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। यहाँ स्थित नल पर पहले टिनशेड़ की छाया थी, किन्तु वर्ष 2020 में इसे परिवर्तित करके स्तंभों का आधार देकर ऊपर वृत्ताकार आकार देते हुए सुन्दर स्वरूप दे दिया गया है। व्यवस्थित आकार दिया गया है, जो कि पर्वत श्रृंखलाओं के नीचे स्थित होने से अत्यंत मनोहारी प्रतीत होता है।

जय माता की - जय गुरुवर की