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अन्नपूर्णा भंडारा
पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम में स्थायी रूप से निवासरत एवं नित्यप्रति आने-जाने काले ‘माँ’ भक्तों के लिए अन्नपूर्णा भंडारे में भोजन की व्यवस्था निःशुल्क रूप से सदैव ही रहती है, जिसका प्रारंभ सदगुरुदेव जी महाराज के द्वारा सिद्धाश्रम की स्थापना के साथ ही कर दिया गया था। नित्यप्रति सुबह 08 बजे से लेकर दोपहर 01 बजे तक एवं सायंकाल 06 बजे से लेकर रात्रि 09 बजे तक अन्नपूर्णा भण्डारा निर्विघ्न सम्पन्न होता है। भण्डारे में प्रतिदिन दाल, चावल, रोटी, सब्जी, दही, छाछ इत्यादि स्वादिष्ट भोजन के साथ सिद्धाश्रम धाम में आयोजित विभिन्न पर्वों-त्यौहारों पर पूड़ी-खीर इत्यादि पकवानों की प्रमुखता होती है।
प्रारंभ में लकड़ी और चूल्हे के माध्यम से भंडारे का महाप्रसाद निर्मित होता था, किंतु दिनोंदिन भक्तों को बढ़ती भीड़ के साथ, वर्तमान में कुछ आधुनिक मशीनों का भी उपयोग भोजन निर्माण में हो रहा है। लहसुन-प्याज व हर प्रकार के तामसिक पदार्थों से पूर्णतया रहित इस भंडारे में सादगी और स्वच्छतापूर्ण तरीके से सुपाच्य और स्वादिष्ट भोजन बनाया जाता है।
अन्नपूर्णा भंडारे में लोग तृप्तिदायक भोजन तो प्राप्त करते ही हैं, साथ ही यहाँ सद्गुरुदेव जी महाराज की उस विचारधारा का भी दिग्दर्शन होता है, जिससे प्रभावित होकर विश्वभर के लाखों- लाख लोग, सत्य को यात्रा तय कर रहे हैं। यहाँ सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय व सभी आयु वर्ग के लोगों का एक साथ बैठकर भोजन करना’ आत्मवत् सर्वभूतेषु’ का दर्शन कराता है।
सामान्य दिनों की अपेक्षा शक्ति चेतना जनजागरण शिविरों में अन्नपूर्णा भंडारे का विशाल स्वरूप देखते ही बनता है, जहाँ संगठन के स्वयंसेवी कार्यकर्ता ही भोजन बनाने, परोसने एवं साफ-सफाई की सम्पूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। शिविर में लाखों लोग सुबह-शाम एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, फिर भी भंडारे में क्षणभर के लिए कोई अव्यवस्था नहीं दिखाई देती। निर्बाध रूप से चलने वाला यह भंडारा, निःसंदेह माँ अन्नपूर्णा की अपार कृपा का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
जय माता की - जय गुरुवर की